NAVRATRI 2021 MAHURAT PUJAN VIDHI


DURGA POOJA NAVRATRI BEEJ MANTRA RAM NAVAMI

नवरात्रि के पीछे पौराणिक कहानी

इस त्योहार से संबंधित कई कहानियां हैं, लेकिन उनमें से दो बहुत लोकप्रिय और प्रचलित हैं। पहले एक राक्षस महिषासुर के बारे में है और वह देवी दुर्गा के हाथों से कैसे मिला। ये रहा:

महिषासुर नाम का एक दानव भगवान शिव का बड़ा उपासक था। दानव की भक्ति से प्रभावित होकर, भगवान शिव खुश हो गए और उन्हें किसी भी व्यक्ति या भगवान द्वारा मारे नहीं जाने का वरदान दिया। यह आशीर्वाद महिषासुर के सिर पर चढ़ गया, जिससे वह अभिमानी और अभिमानी हो गया। उसने मूल निवासियों को आतंकित करना शुरू कर दिया, उनके घरों पर हमला किया और सभी के लिए समस्याएं पैदा कीं। पृथ्वी को नष्ट करने के बाद, उसने स्वर्ग को निशाना बनाया और देवताओं को भी डराया। देवता त्रिदेव के पास गए; ब्रह्मा, विष्णु और शिव; एक समाधान प्राप्त करने के लिए, जिसने माँ दुर्गा को बनाया। लुका-छिपी के एक जोरदार खेल के बाद, मां दुर्गा ने आखिरकार राक्षस को ढूंढ निकाला और उसे मार डाला। इसने बुराई पर अच्छाई की जीत पर टिप्पणी की।

दूसरी कहानी इस प्रकार है:

भगवान राम, परम महाशक्ति देवी भगवती के बहुत बड़े उपासक थे। उन्होंने नौ दिनों तक सीधे अपनी पूजा में खुद को समर्पित किया ताकि रावण के खिलाफ जीत हासिल की जा सके। नौवें दिन, देवी भगवती उनके सामने प्रकट हुईं और उन्हें आशीर्वाद दिया और दसवें दिन भगवान राम ने दशानन का वध किया। तब से, देवी भगवती के विभिन्न रूपों को नौ दिनों के लिए सीधा किया जाता है और विजयादशमी के दसवें दिन मनाया जाता है।

DURGA POOJA NAVRATRI BEEJ MANTRA RAM NAVAMI

शक्ति की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से शुरू हो रहा है। इस बार कोई तिथि क्षय नहीं है। नवरात्र का पावन पर्व पूरे नौ दिनों तक मनाया जाएगा। समापन 21 अप्रैल को होगा। नवरात्र के साथ ही हिन्दू नववर्ष की शुरुआत भी होगी। नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा जीवन में सुख समृद्धि और शांति लाती है। कलश स्थापना, जौ बोने, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने, हवन और कन्या पूजन से मां प्रसन्न होती हैं। चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। चंद्रमा मेष राशि में रहेगा। अश्वनी नक्षत्र व स्वार्थसिद्ध और अमृतसिद्ध योग बन रहे हैं। अमृतसिद्धि योग में कोई कार्य शुरू करने पर शुभ फल मिलता है। साथ ही स्थायित्व की प्राप्ति होती है। वहीं स्वार्थ सिद्धि योग में जो भी कार्य किए जाते हैं वह बिना बाधा के पूर्ण होते हैं और सुख समृद्धि आती है। 

 

जानें घट स्थापना का शुभ मुहूर्त (Navratri Ghat Sthapna Mahurat 2021)


अमृतसिद्धि योग: 13 अप्रैल का सुबह 06 बजकर 11 मिनट से दोपहर 02 बजकर 19 मिनट तक

सर्वार्थसिद्धि योग: 13 अप्रैल का सुबह 06 बजकर 11 मिनट से दोपहर 02 बजकर 19 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त: 13 अप्रैल का दोपहर 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक

अमृत काल मुहूर्त: 13 अप्रैल का सुबह 06 बजकर 15 मिनट से 08 बजकर 03 मिनट तक

ब्रह्म मुहूर्त: 13 अप्रैल का सुबह 04 बजकर 35 मिनट से सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक

 

नवरात्रि के लिए पूजा सामग्री (Navratri Poojan Samagri)

नवरात्रि के व्रत रखने और पूजा करने का तभी लाभ होता है जब सब कार्य विधिपूर्वक किये जाएंआज हम आपको नवरात्रि के लिए पूजा सामग्री बता रहे हैं।
मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, कपूर, धूप, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, केसर, चौकी, रोली, मौली, सुगंधित तेलबेलपत्र, कमलगट्टा, मेंहदी, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, सुपारी साबुत, पटरा, आसन, पुष्प, दूर्वा, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्पहार, वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, बिंदी, लाल रंग की गोटेदार चुनरीलाल, रेशमी चूड़ियां, सिंदूर, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, आदिकी आवश्यकता होती है।
 

घर पर नवरात्रि पूजा विधि  (Navratri Ghat Sthapna Pooja Vidhi)
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापन पूजा

चैत्र नवरात्रि आमतौर पर मार्च-अप्रैल की अवधि में शुरू होती है। लोग अपने घर और कार्यस्थल पर कलश स्थापन पूजा करना पसंद करते हैं। एक कलश को पूजा स्थल पर रखा जाता है और लोग कलश पूजा के अनुष्ठान को करने के लिए एक पुजारी को बुलाते हैं। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापित करने का एक सही तरीका है।

● सुबह जल्दी उठना और शॉवर लेना पहली गतिविधि होनी चाहिए।
● मूर्तियों को साफ करने के बाद, आपको सबसे पहले उस स्थान की सफाई करनी होगी, जहां कलश रखा जाना है।
● अगली चीज़ जो आपको करने की ज़रूरत है, वह है लकड़ी के आसन पर लाल रंग का कपड़ा बिछाना और लाल कपड़े पर कच्चा चावल डालते हुए भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करना।
● कुछ मिट्टी का उपयोग करके, आपको एक वेदी बनाने और उसमें जौ के बीज बोने की आवश्यकता है।
● अब, मिट्टी पर कलश स्थापित करें और उसमें थोड़ा पानी डालें।
● कलश पर स्वस्तिक चिन्ह बनाने के लिए सिंदूर के पेस्ट का उपयोग करें और कलश के गले में एक पवित्र धागा बाँधें।
● कलश में सुपारी और सिक्का डालें और उसमें कुछ आम के पत्ते रखें।
● अब, एक नारियल लें, उसके चारों ओर एक पवित्र धागा और एक लाल चुनरी बाँध लें।
● इस नारियल को कलश के ऊपर रख दें और सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना करें।
● देवताओं को फूल चढ़ाएं और धार्मिक मन और आत्मा से पूजा करें।

 

नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विधान (Nav Durga ke Nav Roop)

●  दिन 1 : 13 April 2021 :मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना:यह देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप है। मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं। शैलपुत्री माता पार्वती का ही दूसरा रूप है। इन्हें हिमालय राज की पुत्री कहा जाता है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल होता है तथा यह मां नंदी की सवारी करती है। शक्ति और कर्म इनके प्रतीक हैं।

●  दिन 2-14 April 2021 :माँ ब्रह्मचारिणी पूजा :ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब मां पार्वती अविवाहित थी तब उन्हेंब्रह्मचारिणी कहा जाता था। यानि कि यह दिन भी मां पार्वती का ही होता है। ये मां श्वेत वस्त्र धारण किए हुए होती हैं और इनके दाएं हाथ में कमण्डल और बाएं हाथ में जपमाला होती है। देवी का स्वरूप अत्यंत तेज़ और ज्योतिर्मय है। ये मां शांति और सकारात्मकता की प्रतीक है।

●  दिन 3-15 April 2021 :माँ चंद्रघंटा पूजा :देवी चंद्रघण्टा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि माँ पार्वती और भगवान शिव के विवाह के दौरान उनका यह नाम पड़ा था। मां चंद्रघण्टा का प्रिय रंग पीला होता है इसलिए इस दिन पीले रंग धारण किए जाते हैं। यह रंग साहस का प्रतीक है।

●  दिन 4 -16 April 2021 :माँ कूष्मांडा पूजा :माँ कूष्माण्डा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है। मां कुष्मांडा शेर की सवारी करती हैं और उनकी आठ भुजाएं होती हैं। ऐसी मान्यता है कि पृथ्वी पर होने वाली हरियाली माँ के इसी रूप के कारण है। इस दिन हरे कपड़े पहनने को शुभ माना जाता है।

●  दिन 5 : 17 April 2021 :माँ स्कंदमाता पूजा :देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं। भगवान कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है। इनकी चार भुजाएं होती हैं। माता अपने पुत्र को लेकर शेर की सवारी करती है। इस दिन ग्रे रंग के कपड़े पहनने की मान्यता है।

●  दिन 6- 18 April 2021 :माँ कात्यायनी पूजा :देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं। माता कात्यायिनी साहस का प्रतीक हैं। ये शेर की सवारी करती हैं और उनकी चार भुजाएं हैं। इस दिन केसरिया रंग का महत्व होता है।

●  दिन 7 : 19 April 2021 :माँ कालरात्रि पूजा :देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं। और ऐसा कहा जाता है कि जब मां पार्वती ने शुंभ-निशुंभ नामक दो राक्षसों का वध किया था तब उनका रंग काला हो गया था। इसके बावजूद इस दिन काले के बजाय सफेद रंग पहना जाता है।

●  दिन 8 : 20 April 2021 :माँ महागौरी पूजा :देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं। माता का यह रूप शांति और ज्ञान की देवी का प्रतीक है। इस दिन पिंक कपड़े पहने जाते हैं।

●  दिन 9 - 21 April 2021 :माँ सिद्धिदात्री पूजा :देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से पूजा करने वालों को सिद्धि प्राप्त होती है। मां सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान हैं और उनकी चार भुजाएं होती हैं।

 



दुर्गा के बीज मंत्र (Nav Durga Beej Mantra)

9 दुर्गा के बीज मंत्र (Nav Durga Beej Mantra)

नवरात्रि के समय में मां दुर्गा के बीज मंत्रों का जाप कल्याणकारी और प्रभावी माना जाता है। इस नवरात्रि आप 9 दुर्गा के बीज मंत्रों का जाप कर सकते हैं। इसमें शब्दों के उच्चारण का विशेष ध्यान रखा जाता है। आइए मां दुर्गा के 9 स्वरुपों के बीज मंत्रों के बारे में जानते हैं।


1. शैलपुत्री: ह्रीं शिवायै नम:।

2. ब्रह्मचारिणी: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।

3. चन्द्रघण्टा: ऐं श्रीं शक्तयै नम:।

4. कूष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:।

5. स्कंदमाता: ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।

6. कात्यायनी: क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।

7. कालरात्रि: क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।

8. महागौरी: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

9. सिद्धिदात्री: ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।


 

मां दुर्गा के 108 नाम (Maa Durga Ke 108 Naam)

1. सती:अग्नि में जल कर भी जीवित होने वाली 

2. साध्वी:आशावादी 

3. भवप्रीता:भगवान शिव पर प्रीति रखने वाली 

4. भवानी:ब्रह्मांड में निवास करने वाली 

5. भवमोचनी:संसारिक बंधनों से मुक्त करने वाली 

6. आर्या:देवी 

7. दुर्गा:अपराजेय 

8. जया:विजयी 

9. आद्य:शुरुआत की वास्तविकता 

10. त्रिनेत्र:तीन आंखों वाली 

11. शूलधारिणी:शूल धारण करने वाली 

12. पिनाकधारिणी:शिव का त्रिशूल धारण करने वाली 

13. चित्रा:सुरम्य, सुंदर 

14. चण्डघण्टा:प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली, घंटे की आवाज निकालने वाली 

15. सुधा:अमृत की देवी 

16. मन:मनन-शक्ति 

17. बुद्धि:सर्वज्ञाता 

18. अहंकारा:अभिमान करने वाली 

19. चित्तरूपा:वह जो सोच की अवस्था में है 

20. चिता:मृत्युशय्या 

21. चिति:चेतना 

22. सर्वमन्त्रमयी:सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली 

23. सत्ता:सत-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है 

24. सत्यानंद स्वरूपिणी:अनन्त आनंद का रूप 

25. अनन्ता:जिनके स्वरूप का कहीं अंत नहीं 

26. भाविनी:सबको उत्पन्न करने वाली, खूबसूरत औरत 

27. भाव्या:भावना एवं ध्यान करने योग्य 

28. भव्या:कल्याणरूपा, भव्यता के साथ 

29. अभव्या:जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं 

30. सदागति:हमेशा गति में, मोक्ष दान 

31. शाम्भवी:शिवप्रिया, शंभू की पत्नी 

32. देवमाता:देवगण की माता 

33. चिन्ता:चिन्ता 

34. रत्नप्रिया:गहने से प्यार करने वाली 

35. सर्वविद्या:ज्ञान का निवास 

36. दक्षकन्या:दक्ष की बेटी 

37. दक्षयज्ञविनाशिनी:दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली 

38. अपर्णा:तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली 

39. अनेकवर्णा:अनेक रंगों वाली 

40. पाटला:लाल रंग वाली 

41. पाटलावती:गुलाब के फूल 

42. पट्टाम्बरपरीधाना:रेशमी वस्त्र पहनने वाली 

43. कलामंजीरारंजिनी:पायल को धारण करके प्रसन्न रहने वाली 

44. अमेय:जिसकी कोई सीमा नहीं 

45. विक्रमा:असीम पराक्रमी 

46. क्रूरा:दैत्यों के प्रति कठोर 

47. सुन्दरी:सुंदर रूप वाली 

48. सुरसुन्दरी:अत्यंत सुंदर 

49. वनदुर्गा:जंगलों की देवी 

50. मातंगी:मतंगा की देवी 

51. मातंगमुनिपूजिता:बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय 

52. ब्राह्मी:भगवान ब्रह्मा की शक्ति 

53. माहेश्वरी:प्रभु शिव की शक्ति 

54. इंद्री:इंद्र की शक्ति 

55. कौमारी:किशोरी 

56. वैष्णवी:अजेय 

57. चामुण्डा:चंड और मुंड का नाश करने वाली 

58. वाराही:वराह पर सवार होने वाली 

59. लक्ष्मी:सौभाग्य की देवी 

60. पुरुषाकृति:वह जो पुरुष धारण कर ले 

61. विमिलौत्त्कार्शिनी:आनन्द प्रदान करने वाली 

62. ज्ञाना:ज्ञान से भरी हुई 

63. क्रिया:हर कार्य में होने वाली 

64. नित्या:अनन्त 

65. बुद्धिदा:ज्ञान देने वाली 

66. बहुला:विभिन्न रूपों वाली 

67. बहुलप्रेमा:सर्व प्रिय 

68. सर्ववाहनवाहना:सभी वाहन पर विराजमान होने वाली 

69. निशुम्भशुम्भहननी:शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली 

70. महिषासुरमर्दिनि:महिषासुर का वध करने वाली 

71. मसुकैटभहंत्री:मधु व कैटभ का नाश करने वाली 

72. चण्डमुण्ड विनाशिनि:चंड और मुंड का नाश करने वाली 

73. सर्वासुरविनाशा:सभी राक्षसों का नाश करने वाली 

74. सर्वदानवघातिनी:संहार के लिए शक्ति रखने वाली 

75. सर्वशास्त्रमयी:सभी सिद्धांतों में निपुण 

76. सत्या:सच्चाई 

77. सर्वास्त्रधारिणी:सभी हथियारों धारण करने वाली 

78. अनेकशस्त्रहस्ता:कई हथियार धारण करने वाली 

79. अनेकास्त्रधारिणी:अनेक हथियारों को धारण करने वाली 

80. कुमारी:सुंदर किशोरी 

81. एककन्या:कन्या 

82. कैशोरी:जवान लड़की 

83. युवती:नारी 

84. यति:तपस्वी 

85. अप्रौढा:जो कभी पुराना ना हो 

86. प्रौढा:जो पुराना है 

87. वृद्धमाता:शिथिल 

88. बलप्रदा:शक्ति देने वाली 

89. महोदरी:ब्रह्मांड को संभालने वाली 

90. मुक्तकेशी:खुले बाल वाली 

91. घोररूपा:एक भयंकर दृष्टिकोण वाली 

92. महाबला:अपार शक्ति वाली 

93. अग्निज्वाला:मार्मिक आग की तरह 

94. रौद्रमुखी:विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा 

95. कालरात्रि:काले रंग वाली 

96. तपस्विनी:तपस्या में लगे हुए 

97. नारायणी:भगवान नारायण की विनाशकारी रूप 

98. भद्रकाली:काली का भयंकर रूप 

99. विष्णुमाया:भगवान विष्णु का जादू 

100. जलोदरी:ब्रह्मांड में निवास करने वाली 

101. शिवदूती:भगवान शिव की राजदूत 

102. करली:हिंसक 

103. अनन्ता:विनाश रहित 

104. परमेश्वरी:प्रथम देवी 

105. कात्यायनी:ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय 

106. सावित्री:सूर्य की बेटी 

107. प्रत्यक्षा:वास्तविक 

108.ब्रह्मवादिनी:वर्तमान में हर जगह वास करने वाली


 मां दुर्गा की आरती जय अम्बे गौरी 

(Maa Durga Ki Aarti Jai Ambe Gauri)

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी.....

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।। जय अम्बे गौरी,...।

मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।। जय अम्बे गौरी,...।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।। जय अम्बे गौरी,...।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।। जय अम्बे गौरी,...।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।

शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।। जय अम्बे गौरी,...।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।

मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। जय अम्बे गौरी,...।

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय अम्बे गौरी,...।

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।। जय अम्बे गौरी,...।

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।। जय अम्बे गौरी,...।

भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।। जय अम्बे गौरी,...।

श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।

अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।। जय अम्बे गौरी,...।


मां दुर्गा की आरती (माँ !जगजननी जय !जय!!)

(Maa Durga Ki Aarti Maa Jag janni Jay Jay)

जगजननी जय !जय!! (माँ !जगजननी जय !जय!!)

भयहारिणी, भवतारिणी ,भवभामिनि जय ! जय !! 

माँ जग जननी जय जय …………

तू ही सत-चित-सुखमय शुद्ध ब्रह्मरूपा ।

सत्य सनातन सुंदर पर – शिव सुर-भूपा ।। माँ जग ………….

आदि अनादि अनामय अविचल अविनाशी ।

अमल अनंत अगोचर अज आनंदराशि।। माँ जग ………….

अविकारी , अघहारी,  अकल , कलाधारी ।

कर्ता विधि , भर्ता हरि , हर सँहारकारी ।। माँ जग…………

तू विधिवधू , रमा ,तू उमा , महामाया ।

मूल प्रकृति विद्या तू , तू। जननी ,जाया ।। माँ जग ……….

राम , कृष्ण तू , सीता , व्रजरानी राधा ।

तू वाञ्छाकल्पद्रुम , हारिणी सब बाधा ।। माँ जग……….

दश विद्या , नव दुर्गा , नानाशास्त्रकरा ।

अष्टमात्रका ,योगिनी , नव नव रूप धरा ।। माँ जग ………..

तू परधामनिवासिनि , महाविलासिनी तू ।

तू ही श्मशानविहारिणि , ताण्डवलासिनि तू ।।

माँ जग जननी जय जय …………

सुर – मुनि – मोहिनी सौम्या तू शोभा  धारा ।

विवसन विकट -सरूपा , प्रलयमयी धारा ।। माँ जग ………..

तू ही स्नेह – सुधामयि, तू अति गरलमना ।

रत्नविभूषित तू ही , तू  ही अस्थि- तना ।।माँ जग ………….

मूलाधारनिवासिनी , इह – पर – सिद्धिप्रदे ।

कालातीता       काली , कमला तू वरदे ।। माँ जग ……….

शक्ति शक्तिधर  तू ही नित्य अभेदमयी ।

भेदप्रदर्शिनि वाणी    विमले ! वेदत्रयी ।। माँ जग ………..

हम अति दीन दुखी मा ! विपत – जाल घेरे ।

हैं कपूत अति कपटी , पर बालक तेरे ।। माँ  जग ….…..

निज स्वभाववश जननी ! दयादृष्टि कीजै ।

करुणा कर करुणामयि ! चरण – शरण दीजै ।। 

माँ जग जननी जय जय , माँ जग जननी जय जय 


नवरात्रि में माँ दुर्गा की मन्त्र साधना 

नवरात्रि के समय में माँ दुर्गा की मन्त्र साधना करने का अपना अलग ही पुन्य है और मन्त्र सिद्धि के साथ ही माँ की भक्ति, अनुकम्पा प्राप्ति भी सहज है | माँ की भक्ति, मन्त्र साधना करने के लिए आप सभी पाठको के लिए हम FREE eBOOK प्रदान कर रहे है | आप इसे डाउनलोड करे और साथ ही अपने परिचित लोगो, भक्तो तक इसे पहुचाएं ताकि सभी इन नवरात्रि में माँ की कृपा पा सके और और मनोवांछित फल की प्राप्ति कर सकें |




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BIMARI ROG KE UPAAY


 बीमारी से रोग से छुटकारा पाने के उपाय :-

बीमारी से रोग से छुटकारा पाने के उपाय


1. बाजार से कपास के थोड़े से फूल खरीद लें। रविवार शाम 5 फूल, आधा गिलास पानी में साफ कर के भिगो दें। सोमवार को प्रात: उठ कर फूल को निकाल कर फेंक दें तथा बचे हुए पानी को पी जाएं। जिस पात्र में पानी पीएं, उसे कहीं पर भी उल्टा कर के रख दें। कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ अनुभव करेंगे । 


2. रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर जलाने से पितृ दोष का नाश होता है, घर में शांति बनी रहती है, बुरे स्वप्न नहीं आते है और सभी प्रकार के रोगों से भी छुटकारा मिलता है । 


3. पूर्णिमा के दिन रात्रि में घर में खीर बनाएं। ठंडी होने पर उसका मंदिर में मां लक्ष्मी को भोग लगाएं एवं चन्द्रमा और अपने पितरों का मन ही मन स्मरण करें और कुछ खीर काले कुत्तों को दे दें। ऐसा वर्ष भर पूर्णिमा में करते रहने से घर में सुख शांति, निरोगिता एवं हर्ष और उल्लास का वातावरण बना रहता है धन की कभी भी कमी नहीं रहती है । 


4. घर में कोई बीमार हो जाए तो उस रोगी को शहद में चन्दन मिला कर चटाएं । 

यदि घर में पुत्र बीमार हो तो कन्याओं को हलवा खिलाएं एवं पीपल के पेड़ की लकड़ी को सिरहाने रखें।


5. जिस घर में स्त्रीवर्ग को निरन्तर स्वास्थ्य की पीड़ाएँ रहती हो, उस घर में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी श्रद्धापूर्वक देखशल करने, संध्या के समय घी का दीपक जलाने से रोग पीड़ाएँ शीघ्र ही समाप्त होती है।


6. यदि घर में किसी की तबियत ज्यादा ख़राब लग रही है तो रविवार के दिन बूंदी के सवा किलो लड्डू किसी भी धार्मिक स्थान चड़ा कर उसका कम से कम 75% वहीँ पर प्रसाद के रूप में बांटे।


7. अगर परिवार में कोई परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तथा लगातार दवा सेवन के पश्चात् भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तो किसी भी रविवार से लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उसार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को खिला दें। इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति अवश्य ही स्वस्थ महसूस करने लगेगा। अगर इस अवधि में रोगी ठीक हो जाता है, तो भी इस प्रयोग को अवश्य पूरा करना चाहिए। 


8. पीपल के वृक्ष को प्रात: 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। ऐसा किसी भी दिन से शुरू करके 7 दिन तक करें ( अगर सोमवार से शुरू करें तो अति उत्तम होगा )। रोग से ग्रस्त व्यक्ति को जल्दी ही आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा।


9. शुक्रवार रात को मुठ्ठी भर काले साबुत चने भिगोयें। शनिवार की शाम उन्हें छानकर काले कपड़े में एक कील और एक काले कोयले के टुकड़े के साथ बांध दें । फिर इस पोटली को रोगी के ऊपर से 7 बार वार कर किसी तालाब या कुएं में फेंक दें। ऐसा लगातार 3 शनिवार करें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा।


10. यदि कोई प्राणी कहीं देर तक बैठा हो और उसके हाथ या पैर सुन्न हो जाएँ तो जो अंग सुन्न हो गया हो, उस पर उंगली से 27 का अंक लिख दीजिये, उसका सुन्न अंग तुरंत ठीक हो जाएगा।


11. काले तिल और जौ का आटा तेल में गूंथकर एक मोटी रोटी बनाकर उसे अच्छी तरह सेंकें। गुड को तेल में मिश्रित करके जिस व्यक्ति के मरने की आशंका हो, उसके सिर पर से 7 बार उतार कर मंगलवार या शनिवार को किसी भैंस को खिला दें।यह क्रिया करते समय ईश्वर से रोगी को शीघ्र स्वस्थ करने की प्रार्थना करते रहें।


12. गुड के गुलगुले सवाएं लेकर उसे 7 बार रोगी के सर से उतार कर मंगलवार या शनिवार व इतवार को चील-कौए को डाल दें, रोगी को तुरंत राहत मिलने लगती है।

BHAGYA CHAMKANE KE UPAAY

जब भाग्य न दे साथ, करें यह टोटका
कभी-कभी न चाहते हुए भी जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। भाग्य साथ ही नहीं देता है, बल्कि दुर्भाग्य निरन्तर पीछा करता रहता है। दुर्भाग्य से बचने के लिए या दुर्भाग्य नाश के लिए यहां एक अनुभूत टोटका बता रहे हैं। इसका बिना शंका के मन से पूर्ण आस्था के साथ करने से दुर्भाग्य का नाश होकर सौभाग्य वृद्धि होती है।

जब भाग्य न दे साथ, करें यह टोटका


टोटका
 
सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले इस टोटके को करना है। एक रोटी लें। इस रोटी को अपने ऊपर से 31 बार ऊवार लें। प्रत्येक बार वारते समय इस मन्त्र का उच्चारण भी करें।
 
ऊँ दुभाग्यनाशिनी दुं दुर्गाय नम:

बाद में रोटी को कुत्ते को खिला दें अथवा बहते पानी में बहा दें।
यह अद्भुत प्रयोग है। इसके बाद आप देखेंगे कि किस्मत के दरवाजे आपके लिए खुल गए हैं। बिना शंका के इस प्रयोग को मन से करने से शीघ्र लाभ होता है।
 
(2) कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जितनी भी मेहनत करें लेकिन उन्हें उसका फल नहीं मिलता। वे हमेशा पैसों की तंगी में ही जीते हैं। पैसा आता भी है तो तुरंत समाप्त हो जाता है। उनके घर में बरकत नहीं होती। ऐसे लोग हमेशा यही सोचते हैं किसी तरह से भी उसके घर की बरकत आ जाए और गरीबी दूर हो जाए। यदि आपके घर में भी बरकत नहीं है तो नीचे लिखे तांत्रिक प्रयोग को करने से आपकी यह समस्या दूर हो जाएगी।
उपाय


सात कौडिय़ां व एक लघु शंख को मसूर की दाल की ढेरी पर स्थापित कर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके आसन पर बैठ जाएं। अब मूंगे की माला से नीचे लिखे मंत्र का जप करें। पांच माला जप होने पर इस सामग्री को किसी ऐसे स्थान पर जाकर गाढ़ दें जहां कोई आता-जाता न हो। आपकी गरीबी भी वहीं दफन हो जाएगी और आपके घर में बरकत होने लगेगी।
मंत्र-                 ऊँ गं गणपतये नम: