रोग मुक्ति शाबर मन्त्र

प्रिय दर्शको यह शाबर मन्त्र “रोग मुक्ति शाबर मन्त्र” एक अमूल्य निधि हैं जो की मैं आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूँ, और मैं सभी दर्शकों से यही उम्मीद रखूँगा की आप सब इस मन्त्र को जरुर ही सिद्ध करे और बेबस, लाचार, परेशान सामाजिक प्राणियों जो स्वयं या उनके परिजन किसी अज्ञात रोग से पीड़ित हैं, उन सब का भला जरुर करें | यदि आप किसी का भला करोगे तो मालिक आपका भला करेगा, लेकिन आपके द्वारा किया गया भला निष्काम होना चाहिए | और अगर आपके सामने आपका कितना ही बड़ा शत्रु मदद के लिए आये या अपने रोग के बारे में आपसे सहायता मांगे तो भूल कर भी उसे “ना” नहीं कहें | आपने कई बार सुना, देखा होगा की अमुक को पता नहीं कोन सा रोग हुआ हैं ? कितनी ही दवा ले ली, डॉक्टर्स को दिखाया, वैध को दिखाया पर फिर भी आराम नहीं आया |  किसी व्यक्ति के रोग का कारण पता नहीं चल रहा हो और न ही किसी दवा, इलाज का असर मरीज पर नहीं पड़ रहा हो तो ऐसे में यह मन्त्र बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगा, क्योंकि मरीज के चाहे कोई भी रोग क्या ना हो दैविक, दैहिक या भौतिक और जब बीमारी या बीमारी का कारण भी किसी की समझ से दूर हो तो उस व्यक्ति का इलाज इस मन्त्र द्वारा संभव हैं और ज्यादा जरुरत हैं तो वो हैं विश्वास की |   






रोग मुक्ति शाबर मन्त्र

|| जै जै गुणवंती वीर हनुमान
रोग मिटें और रिबले रिबलाब
कारज पूरण करे पवन सुत
जो न करे तो माँ अंजनी की दुहाई
शब्द सांचा पिण्ड काचा
फुरो मन्त्र फुरो मन्त्र इश्वरोवाचा ||

विधि :- इस मन्त्र की सिद्दी के लिये केवल 3 मंगल वार को हनुमान जी के मन्दिर में जाकर 1 या  3 माला का जाप करने से ही सिद्द हो जायेगा | फिर किसी भी मंगल वार के दिन एक ताम्बे के गिलास में साफ़ और शुद्ध पानी भर ले | फिर उसमे 3 दाने चिरमी ( गुंजा, जो की अक्सर खेतों की मेड पर बरसात में बेल स्वतः ही उग जाती हैं और किसी पेड़ के सहारे ऊपर उठती हैं | इसकी फली में मटर से छोटे दाने होते हैं जो की लाल या सफ़ेद दोनों रंग के होते हैं और उनपर काले रंग का एक धब्बा होता हैं | यह आपको पंसारी या पूजा पाठ के सामान की दुकान पर आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं ) को लेकर उस ताम्बे के गिलास में डाल दे और फिर उस गिलास को अपने सामने रख कर और स्वयं आसन पर बैठ कर गुरु, गणेश, इष्ट देव व हनुमान जी का ध्यान, कार्य सिद्धि हेतु प्रार्थना करे और फिर इस मन्त्र का 108 बार जाप करे | जप पूर्ण होने पर पूर्ण विश्वास के साथ फिर दुबारा गुरु, गणेश, इष्ट देव व हनुमान जी का ध्यान, कार्य सिद्धि हेतु प्रार्थना करे और फिर उन तीनो चिरमी के दानो को निकाल कर रोगी के ऊपर से 7, 11 या 21 बार उतार कर दक्षिण दिशा में फेंक दे और शेष पानी रोगी को आराम से पिला दे | अगर एक बार में संभव नहीं हो तो कोई बात नहीं धीरे धीरे करके पिला दे | अगर रोगी ज्यादा ही गंभीर हैं तो किसी चम्मच के सहारे उसे पानी पिलाये | उसी दिन से रोगी की तबियत में सुधर होना दिखाई दे जायेगा |   

आशा करता हूँ की आपको यह पोस्ट जरुर ही पसंद आई होगी |

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