Machh Mani Mangal Kanta Mani Pearl


गरूड़ पुराण में मोती के नौ भेद बताए गए हैं। हाथी, सूअर, सर्प, मछली, व्हेल, शंख, बांस, बादल और सीप। संस्कृत वांग्मय में कहा गया है शैले शैले न माणिक्यं, मौक्तिकं न गजे गजे। अर्थात् प्रत्येक पर्वत पर मणि नहीं होती और प्रत्येक हाथी के सिर में मोती नहीं होता। मणिधारी सांप भी कोई-कोई ही होता है। उसी प्रकार मोतीधारी सूअर और मछली भी कभी-कभार ही मिलते हैं। इन प्राणियों से मिलने वाले मोती अत्यंत दुर्लभ होते हैं, इसलिए सीप से मिलने वाले मोती ही सर्वसुलभ हैं।

मोती या 'मुक्ता' एक कठोर पदार्थ है जो मुलायम ऊतकों वाले जीवों द्वारा पैदा किया जता है। रासायनिक रूप से मोती सूक्ष्म क्रिटलीय रूप में कैल्सियम कार्बोनेट है जो जीवों द्वारा संकेन्द्रीय स्तरों (concentric layers) में निक्षेप (डिपॉजिट) करके बनाया जाता है। आदर्श मोती उसे मानते हैं जो पूर्णतः गोल और चिकना हो, किन्तु अन्य आकार के मोती भी पाये जाते हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले प्राकृतिक मोती प्राचीन काल से ही बहुत मूल्यवान रहे हैं। इनका रत्न के रूप में या सौन्दर्य प्रसाधन के रूप में उपयोग होता रहा है।


मणि

मणि एक अनमोल वस्तु होती है जिसमे एक सूक्ष्म शक्ति होती है। मणि का कोई एक निश्चित आकार नहीं होता। इसको दो मुख्य तरीके से विभक्त कर सकते हैं।


जैविक मणि 

जो की किसीभी जीव से मिलता है। उदहारण स्वरूप : नागमणि, गजमणि, उल्लूक मणि, सुकरमणि, मोरमणि, कपिमणि आदि। जैविक मणि में उस जीव का सुक्ष्म तत्त्व होता है।

प्राकृतिक मणि 

ये मणि किसी जीव या जंतु से नहीं मिलता। प्रकृति में स्वतः ही प्राप्त होता है। इसका मूल स्रोत ढूँढना बहुत मुश्किल है। प्राकृतिक मणि में स्यमंतक मणि, मेघ मणि, कौस्तुभ मणि, पारस मणि आदि है।

मणि कोई हीरा, पन्ना, माणिक आदि पत्थर नहीं होती। मणि में छिपे हुए सूक्ष्म शक्ति ही उसकी पहचान है, जिसको परखना इतना सहज नहीं। मणि से सूक्ष्म शक्ति को निकाला भी जा सकता है और वापस रोपण भी किया जा सकता है।


गज मणि:

इसे गज गजमुक्तक भी कहते हैं। यह मोती हाथी की सूंड के उस स्थान पर पाया जाता है जहां मस्तक जुड़ता है। यह मोती पीली आभा से युक्त, लाल, कम चमकदार, लोचदार, गोल और आंवले के फल के समान धारीदार होता है। कहा जाता है कि अफ्रीकी हाथियों में यह मोती उपलब्ध होता है। कुछ हाथियों में यह लंबे त्रिकोण के आकार का भूरे रंग का होता है।
गज मणि या गजमुक्ता हल्के हरे-भूरे रंग के, अंडाकार आकार का मोती, जिसकी जादुई और औषधीय शक्ति सर्वमान्य है । यह हाथी मोती एक लाख हाथियों में से एक में पाये जाने वाला मोती का एक रूप है। मोती अत्यंत दुर्लभ है और इसलिए महंगा भी है जिस किसी के पास यह होता है वह बहुत भाग्यषाली होता है इसे एक अनमोल खजाने की तरह माना गया है ।इसके अलौकिक होने के प्रमाण हेतु अगर इसे नारियल के पानी में रखा जाए तो पानी दूधिया हो जाता है । इसी तरह अगर स्टेथोस्कोप से जांचने पर उसके दिन की धड़कन सुनी जा सकती है । अगर इसे हाथ में रखा जाता है तो थोड़ा कंपन महसूह किया जा सकता है । अगर गज मणि को आप नारयिल पानी में रखते हैं तो बुलबुले पैदा होने लगते हैं और पानी की मात्रा भी कम हो जाती है । चिकित्सकीय लाभ में जोड़ों के दर्द, बच्चे न पैदा होने की असमर्थता के इलाज और तनाव से राहत के लिए उपयोग किया जाता है ।कई भारतीय मंदिरों में हाथी मोती आपको स्थापित मिलेगा। हाथी मोती (पर्ल) /गज मुक्ता/गज मणि भगवान महालक्ष्मी को बहुत प्रिय है जो आपको धन -धान्य से भरपूर कर देगा । हाथी मोती हाथी दाँत के भीतर या उसकी जड़ के भीतर पाया जाता है । गज मणि विभिन्न आकार के हो सकते हैं । गज मणि को राजा महाराजाओं द्वारा खजाने में रखने एवं षरीर में धारण करने की प्रथा रही है


वराह मणि:

सूअर के सिर से निकला हुआ मोती बहुत निर्मल, मोगरे के पुष्प जैसा और गहरे रंग का होता है। इसके भी अनेक रंग भेद हैं। यह चंद्रमा के समान सफेद रंग वाला भी पाया जाता है।

नाग मणि या सर्प मोती:

 
इसे आम बोलचाल की भाषा में नागमणि कहा जाता है। सर्प से सिर से निकलने वाला मोती अति निर्मल, काली आभावाला, गोल, सुंदर अति प्रकाशवान तथा लक्ष्मीप्रदाता होता है। कहा जाता है कि यह 100 वर्ष से अधिक आयु के कोबरा सर्प में ही पाया जाता है। रंग भेद के अनुसार यह सुनहरा, हरा, लाल, नीला, पिंक, सफेद और काला भी हो सकता है।
नागमणि को भगवान शेषनाग धारण करते हैं। भारतीय पौराणिक और लोक कथाओं में नागमणि के किस्से आम लोगों के बीच प्रचलित हैं। नागमणि सिर्फ नागों के पास ही होती है। नाग इसे अपने पास इसलिए रखते हैं ताकि उसकी रोशनी के आसपास इकट्ठे हो गए कीड़े-मकोड़ों को वह खाता रहे। हालांकि इसके अलावा भी नागों द्वारा मणि को रखने के और भी कारण हैं।

नागमणि का रहस्य आज भी अनसुलझा हुआ है। आम जनता में यह बात प्रचलित है कि कई लोगों ने ऐसे नाग देखे हैं जिसके सिर पर मणि थी। हालांकि पुराणों में मणिधर नाग के कई किस्से हैं। भगवान कृष्ण का भी इसी तरह के एक नाग से सामना हुआ था।


 

मत्स्य मणि:

यह मोती कई तरह की मछलियों में पाया जाता है। यह मछली के सिर या पेट में मिलता है। यह मोती निंबौली के समान गोल और चमकदार लाल रंग, पिंक या हल्के हरे रंग का होता है। यह अत्यंत दुर्लभ होता है।
अच्छे  जीवन की कामना सभी करते है। धन, शिक्षा, संतान, सम्मान, पद और प्रतिष्ठा कौन नहीं चाहता? लेकिन सभी एक साथ सभी को प्राप्त नहीं हो पाती। इन सब की प्राप्ति के लिए व्यक्ति क्या नहीं करता। इसी प्राप्ति के लिए हमारे आचार्य श्री (ज्योतिष गुरु) ने कुछ दुर्लभ मणियों का संग्रह करके कुछ विशेष अनुभव प्राप्त किये है। जिनमें से सबसे दुर्लभ भी और सुलभ भी मणि जो है वो है – मच्छ मणि।
FISH STONE MACHH MANI POWERFUL SHABAR MANTRA

मच्छ मणि कोई साधारण मणि नहीं है, यह बड़ी ही दुर्लभ मणि है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति सभी प्रकार के कामकाज तनाव से बाहर आकर एक खुशहाल जीवन व्यतीत करता है। राहु ग्रह बाधा निवारण के लिए यह अचूक मणि है।
MACHH MANI FISH STONE POWERFUL SHABAR MANTRAअच्छे  जीवन की कामना सभी करते है। धन, शिक्षा, संतान, सम्मान, पद और प्रतिष्ठा कौन नहीं चाहता? लेकिन सभी एक साथ सभी को प्राप्त नहीं हो पाती। इन सब की प्राप्ति के लिए व्यक्ति क्या नहीं करता। इसी प्राप्ति के लिए हमारे आचार्य श्री (ज्योतिष गुरु) ने कुछ दुर्लभ मणियों का संग्रह करके कुछ विशेष अनुभव प्राप्त किये है। जिनमें से सबसे दुर्लभ भी और सुलभ भी मणि जो है वो है – मच्छ मणि।

मच्छ मणि कोई साधारण मणि नहीं है, यह बड़ी ही दुर्लभ मणि है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति सभी प्रकार के कामकाज तनाव से बाहर आकर एक खुशहाल जीवन व्यतीत करता है। राहु ग्रह बाधा निवारण के लिए यह अचूक मणि है।

NOTE: यह मच्छ मणि हमारे पास सिमित मात्रा में उपलब्ध है | आप चाहे तो आर्डर देकर मँगवा सकते है | आर्डर देने के लिए हमे ईमेल करें या फिर CONTACT FORM भरें |

 

टीमा मणि या श्वेत मोती

यह मोती व्हेल मछली में पाया जाता है। अन्य मछलियों में पाए जाने वाले मोती से यह भिन्न तरह का होता है। यह मोती छोटे अंडे के आकार का खुरदुरा और कई रंगों में पाया जाता है।

मेघ मोती

 
यह मोती बादलों के मध्य में पाया जाता है। यह गोल, अति निर्मल, सूर्य की किरणों के समान तेज चमकदार और आकार में बड़ा होता है। नीले रंग के इस मोती में पानी की लहर के समान कई धारियां होती हैं। यह मोती वर्षा के समय आकाश मार्ग से देवता, सिद्ध और गंधर्वों के द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। मनुष्यों के लिए यह अत्यंत दुर्लभ है।

 

वेणु मणि या बांस मोती

यह मोती केवल बांस खाने वाले जानवरों के पेट में पाया जाता है। यह बनता बांस में ही है, लेकिन कहां छुपा रहता है, इसे पता करना मुश्किल होता है। इसलिए जो जानवर बांस खाते हैं उनके पेट से निकाला जाता है। यह मोती वजन में हल्का, गोल, कपूर के समान कांतिवाला, हरी आभा और सूखे बेर के फल के समान खुरदुरा होता है।

 

शंख मणि

यह मोती समुद्री शंख से निकलता है। कबूतर के अंडे के समान गोल, सुंदर, हल्का, साफ और शुक्र तारे के समान चमकदार होता है। यह सफेद, पिंक, पहला और कभी-कभी गहरे लाल रंग में पाया जाता है। इसे कृत्रिम तरीके से नहीं बनाया जा सकता।


चंद्र मणि या सीप मोती

यह मोती सीप में पाया जाता है और मनुष्यों के लिए सुलभ है। सीप से निकला हुआ मोती एक तो वह होता है जो इसके अंदर के कीड़े के लेसदार स्राव से बनता है और दूसरे प्रकार का मोती सूर्य के स्वाति नक्षत्र में भ्रमण के दौरान ओस या वर्षा की एक बूंद सीप के मुंह में चले जाने से बनता है। यह प्राकृतिक मोती कहलाता है। यह मोती शुद्ध और उत्तम श्रेणी का होता है। इराक के बसरा नामक शहर के समुद्र के किनारे इस प्रकार की सीपियों में बने मोती बहुतायत में पाए जाते हैं, जिनका मूल्य हीरे से भी अधिक होता है।

 

ज्योतिषिय गुण

मोती चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। जिन लोगों की जन्मकुंडली में चंद्रमा कमजोर हो उन्हें मोती धारण करने की सलाह दी जाती है। चंद्रमा यदि मंगल या राहु के साथ हो तो व्यक्ति को बैचेनी और अनमनापन बना रहता है। ऐसी स्थिति में चांदी की माला या चांदी की अंगूठी में मोती धारण करने से लाभ मिलता है। मस्तिष्क संबंधी रोगों, मानसिक विकार, सिरदर्द, माइग्रेन में भी मोती पहनना लाभ देता है। मोती की भस्म का चेहरे पर लेप करने से रंग में निखार आता है। चेहरा चमकदार बनता है और आकर्षण शक्ति बढ़ती है।


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