शाबर मन्त्र संग्रह भाग -19 शक्तिशाली शाबर मन्त्रो का संग्रह Shabar Mantra eBook Part 19

शाबर मन्त्र संग्रह भाग -19  शक्तिशाली शाबर मन्त्रो का संग्रह

इस भाग में आपको अनेक प्रकार के प्राचीन प्रमाणिक शक्तिशाली शाबर मंत्रोतंत्रों व यंत्रो सम्बन्धी रहस्योंबारीकियो का ज्ञान होगा और शाबर मन्त्रो की सिद्धिप्रयोगजप नियमसीमायें आदि की पूर्ण जानकारी प्राप्त होगी | और अगर आप एक शाबर मन्त्र साधक है या आपका ऐसा ही विचार है कि शाबर मन्त्र साधना करने का तो यह पुस्तक आपके लिए बहुत ही अनिवार्य है जिसका की अध्ययन आपको जरुर ही करना चाहिए | व् अपने शाबर मन्त्र साधक जीवन को अग्रसर करना चाहिए | 
इस ईबुक के सभी मंत्रयंत्रयंत्रकार्यवाही और उनके तरीकों को आज के चरम समय को देखकर हाइलाइट किया गया हैताकि आम लोग जो भी कोई अन्य काम करते है वे भगत लोग,  इस ग्रामीण ज्ञान का लाभ उठा सकते हैं। आपने आज तक कई किताबें पढ़ी हैंजिसमें इस तरह के तरीकों का विवरणजप और पूजा सामग्री समय अवधिदी जाती है कि आप केवल पढ़ने के बाद ही टूट जाते हैं और उन पुस्तकों में लिखी सभी बातो का पालन करना एक आम आदमी के लिए सम्भव भी नही होता लेकिन इन पुस्तकों में सभी विधियां सरल हैं |

भाषा: हिंदी    मूल्य: 251 / -

Gorakhnath Shabar Mantra eBook | शाबर मन्त्र भाग 18 श्री गोरखनाथ मन्त्र तन्त्र साधना


पूरे नाथ सम्प्रदाय के गुरु कहे जाने वाले गुरु गोरखनाथ को 84 सिद्धियाँ प्राप्त थी | गुरु गोरखनाथ ने अनेक शाबर मन्त्रों की रचना की और नाथ पन्थो की सभा में बैठकर उन्होंने बहुत से शाबर मन्त्र आदि का उपदेश दिया| ऐसी -ऐसी गूढ़ तंत्र विद्याएँ जिनसे लोग पहले अवगत नहीं थे, गुरु गोरखनाथ द्वारा ये तंत्र विद्याएँ चलन में आई | गुरु गोरखनाथ, भगवान शिव के भक्त थे व नाथ पंथ में उन्हें शिवावतरी भी माना जाता है, ऐसा भी माना जाता है कि ये सभी मंत्र उन्हें भगवान शिव द्वारा ही उन्हें प्राप्त हुए थे |

Gorakhnath Shabar Mantra eBook | शाबर मन्त्र भाग 18 श्री गोरखनाथ मन्त्र तन्त्र साधना


नाथ संप्रदाय में किसी भी प्रकार का भेद-भाव आदि काल से नहीं रहा है। इस संप्रदाय को किसी भी जाति, वर्ण व किसी भी उम्र में अपनाया जा सकता है। सन्यासी का अर्थ काम, क्रोध, मोह, लोभ आदि बुराईयों का त्याग कर समस्त संसार से मोह छोड़ कर शिव भक्ति में समाधी लगाकर लीन होना बताया जाता है। जब भी कभी किसी साधना का नाम आता है तो अचानक ही एक नाम मन में आने लगता है  "गुरु गोरख नाथ” | गुरु गोरखनाथ एक ऐसे  तपस्वी हुए है जिनका सम्पूर्ण जीवन साधना व सिद्धियाँ प्राप्त करने में समर्पित हुआ | तथा उन्होंने अपने जीवन काल में वैदिक जैसे जटिल शाबर मन्त्रो को आमजन के लिए सुलभ बनाने हेतु बहुत से शाबर मन्त्रो की रचना की | सभी सिद्ध शाबर मंत्र गुरु गोरखनाथ की ही देन है | गुरु गोरखनाथ को गोरक्ष नाथ भी कहा गया है | गुरु गोरखनाथ के मन्त्रों द्वारा किसी भी प्रकार के रोग ,व्याधि और पीडाओं को दूर किया जा सकता है | गुरु गोरखनाथ के दिए मन्त्रों का विस्तार से वर्णन कर पाना कठिन है किन्तु हम आपको गुरु गोरखनाथ के कुछ शक्तिशाली शाबर मंत्रों की जानकारी अपनी इस शाबर मन्त्र भाग 18 श्री गोरखनाथ मन्त्र तन्त्र साधनाईबुक में देने का प्रयास करते है |

गुरु मत्स्येन्द्र नाथ के शिष्य गुरु गोरखनाथ अनेक सिद्धियों के मालिक थे | जो कि नाथ पंथ से गुरु मत्स्येन्द्र नाथ के बाद सबसे प्रभावशाली गुरु हुए है | गोरखपुर शहर का नाम गुरु गोरखनाथ के नाम पर ही है | गोरखपुर में गोरखनाथ जी का समाधि स्थल है जहाँ पूरे विश्वभर से नाथ सम्प्रदाय के लोग और गुरु गोरखनाथ के भक्त उनकी समाधि पर माथा टेकने आते है |




success shabar mantra हर काम सफल


हर काम सफल
प्रात: काल आप जब भी उठें पहले अपने हाथों के दर्शन करें और साथ ही इस मन्त्र का जाप करे |
प्रार्थना :-
कराग्रे वसति लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविंद: प्रभाते करदर्शनम्॥

इस मंत्र में बताया गया है कि हाथों के अग्रभाग की ओर महालक्ष्मी का वास होता हैं | हाथ के मध्यभाग में सरस्वती और हाथ के मूलभाग में भगवान विष्णु का वास होता हैं | अत: प्रात:काल दोनो हाथों के दर्शन करना चाहिये | हाथों के दर्शन करते हुए यहां दिए मंत्र का जप भी करना चाहिए| इसके बाद दोनों हाथों 3 बार चूमे और फिर उन दोनों हाथो को अपने चेहरे पर फेर ले | प्राचीन ऋषि-मुनियों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि हमारे हाथों की हथेलियों में दैवीय शक्तियां (ऊर्जा) निवास करती हैं, जिनसे दिनभर के लिए ऊर्जा प्राप्त होती हैं |
इसके बाद जिस तरफ के नासिका छिद्र से ज्यादा सरलता से श्वांस आ रहा हो उसी तरफ का पैर प्रथम जमीन पर रखें

उदहारण :- नासिका के दो छिद्र होते है दायाँ और बायाँ | दोनों से ही हम श्वासं लेते है पर हमेशा एक में ज्यादा तेज और दुसरे में बहुत कम श्वांस प्रवाहित होता है जिस तरफ के छिद्र में से ज्यादा श्वांस प्रवाहित हो रहा हो उसी तरफ का पैर प्रथम बार जमीन पर रखें | अर्थात दाहिनी तरफ ज्यादा स्वांस चल रहा हो तो दाहिना पैर जमीन पर रखना है और बायां छिद्र से श्वांस अधिक चल रहा हो तो बायां पैर प्रथम बार जमीन पर रखें | नासिका स्वर जांचने की इस विद्या को स्वर विद्या कहते हैं |

इसी प्रकार जब हम कार्य के लिए घर से बाहर निकलें तो जो स्वर/श्वांस अधिक तेज हो उसी तरफ का पैर दहलीज से सबसे पहले बाहर निकालें | धीरे धीरे आपके हर काम सफल होने लगेंगे |
घर से निकलते समय ये shaaबर शब्द दो तीन बार अवश्य पढ़ लें |

ॐ गुरु जी
गोरख चले विदेश को
शंकर शीश नवाय
आठों प्रहर सहाय हो
गुरु के पूजूं पायं
अगवानी गणपति की सदा
संग भैरव बलवान
यात्रा सिद्धि सहाय करे
संकट मोचन हनुमान
नव नाथों के नाथ है
झोली भगवा भेष
यात्रा काल संग में चले
शिव गोरख आदेश
आगे आगे गोरख जागे |