हर काम सफल
प्रात: काल आप जब भी उठें पहले अपने हाथों के दर्शन करें और साथ ही इस मन्त्र का जाप करे |
प्रार्थना :-
कराग्रे वसति लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविंद: प्रभाते करदर्शनम्॥
इस मंत्र में बताया गया है कि हाथों के अग्रभाग की ओर महालक्ष्मी का वास होता हैं | हाथ के मध्यभाग में सरस्वती और हाथ के मूलभाग में भगवान विष्णु का वास होता हैं | अत: प्रात:काल दोनो हाथों के दर्शन करना चाहिये | हाथों के दर्शन करते हुए यहां दिए मंत्र का जप भी करना चाहिए| इसके बाद दोनों हाथों 3 बार चूमे और फिर उन दोनों हाथो को अपने चेहरे पर फेर ले | प्राचीन ऋषि-मुनियों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि हमारे हाथों की हथेलियों में दैवीय शक्तियां (ऊर्जा) निवास करती हैं, जिनसे दिनभर के लिए ऊर्जा प्राप्त होती हैं |
इसके बाद जिस तरफ के नासिका छिद्र से ज्यादा सरलता से श्वांस आ रहा हो उसी तरफ का पैर प्रथम जमीन पर रखें |
उदहारण :- नासिका के दो छिद्र होते है दायाँ और बायाँ | दोनों से ही हम श्वासं लेते है पर हमेशा एक में ज्यादा तेज और दुसरे में बहुत कम श्वांस प्रवाहित होता है जिस तरफ के छिद्र में से ज्यादा श्वांस प्रवाहित हो रहा हो उसी तरफ का पैर प्रथम बार जमीन पर रखें | अर्थात दाहिनी तरफ ज्यादा स्वांस चल रहा हो तो दाहिना पैर जमीन पर रखना है और बायां छिद्र से श्वांस अधिक चल रहा हो तो बायां पैर प्रथम बार जमीन पर रखें | नासिका स्वर जांचने की इस विद्या को स्वर विद्या कहते हैं |
इसी प्रकार जब हम कार्य के लिए घर से बाहर निकलें तो जो स्वर/श्वांस अधिक तेज हो उसी तरफ का पैर दहलीज से सबसे पहले बाहर निकालें | धीरे धीरे आपके हर काम सफल होने लगेंगे |
घर से निकलते समय ये shaaबर शब्द दो तीन बार अवश्य पढ़ लें |
ॐ गुरु जी
गोरख चले विदेश को
शंकर शीश नवाय
आठों प्रहर सहाय हो
गुरु के पूजूं पायं
अगवानी गणपति की सदा
संग भैरव बलवान
यात्रा सिद्धि सहाय करे
संकट मोचन हनुमान
नव नाथों के नाथ है
झोली भगवा भेष
यात्रा काल संग में चले
शिव गोरख आदेश
आगे आगे गोरख जागे |
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