TANTRIK POOJA BHOOT DANA PRET DANA JINN DANA KA PRAYOG

विभिन्न प्रकार के भुतदाना-प्रेतदाना-जिन्नदाना-मसानदाना-राक्षस  दानो के प्रयोग :


अभी तक आपने इन्टरनेट की दुनिया से तन्त्र के क्षेत्र में जो भी कुछ जाना है की किन वस्तुओ का तन्त्र में प्रयोग किया जाता है, तो यह मेरा दावा है की आप इन्टरनेट पर उन सभी सामग्रियों की जानकारी प्राप्त नही कर सकते जिनको की अक्सर बड़े-बड़े भगत लोग छिपा कर रखते है और केवल घरेलू परम्परा में ही केवल अपने खास भगत या रिश्तेदार को ही बताते है जैसे की तन्त्र में प्रयुक्त होने वाले 52 दाने | इन दानों को कैसे प्रयुक्त किया जाता है और इनके साथ किस मन्त्र का प्रयोग किया जाता है ये बाते आपको हर कोई नही बताता और मै तो यहाँ तक कहूँगा की इनका प्रयोग एक गुरु अपने खास शिष्य को भी नही बताता है |
जैसे भुत दाना, प्रेत दाना, बेताल दाना, वीर दाना, जींद दाना, पलित दाना, मसान दाना, खबीस दाना, कसाई दाना, देवी दाना, देवता दाना, पितृ दाना, और भी ऐसे कई दाने होते है जोकि आपको पंसारी की दूकान पर आसानी से प्राप्त हो सकते है | 
लेकिन एक विशेष बात जो मै यहाँ पर कहना चाहूँगा वो यह है की पंसारी की दुकान पर उपलब्ध ये दाने जोकि छोटी सी कांच की शीशी में प्राप्त होते है वो किसी भी काम की नही होती है, वो सब नकली सामान मिलता है अगर असली दाने चाहिए तो आप हरियाणा के गाँवों में पंसारी के पास ढूंढे या फिर एक प्रसिद्ध दूकान जो की काफी पुरानी है वहाँ पर आपको असली दाने प्राप्त हो सकते है | और दाने केवल खुली अवस्था वाले ही खरीदे | शीशी पैक दाने केवल नाम से दाने है असली नही है |

दानो के नाम और श्रेणी

तामसिक/मसानी दाने

1. Khabiz Dana खबीस दाना
2. Bhoot Dana भूत दाना
3. Chandal Dana चंडाल दाना
4. Saitan dana शैतान दाना
5. Pret Battisi प्रेत बत्तीसी/ दाना
6. Gandharva dana गन्धर्व दाना
7. Kasai Dana कसाई दाना
8. Aughand Dana औघड़ दाना
9. Bhram Chandal ब्रह्म चंडाल दाना
10. Bhawani Dana भवानी दाना
11. Rachas dana रचस दाना
12. Durga Dana दुर्गा दाना
13. Fakeer Dana फ़क़ीर दाना
14. Yara Yari यारा यारी दाना
15. Kankari Dana कंकाली दाना
16. Masan Dana मसान दाना
17. Pisach Dana पिशाच दाना
18. Bramh Dana ब्रह्म दाना
19. Pret Nashini dana प्रेत नाशिनी दाना
20. Kamiya Sindoor कीमिया सिंदूर
21. Mari Dana मरी दाना
22. Pari Dana परी दाना
23. Danav दानव दाना
24. Dayan Dana डायन दाना
25. Rakt Munda रक्त मुंड दाना
26. Jinn Dana जिन्न दाना
27. Kala Dana काला दाना
28. Batal Dana बैताल दाना
29. Bramh Pisach ब्रह्म पिशाच दाना
30. Chitbadla Dana चित्बडला दाना
31. Pret Dana प्रेत दाना
32. Hazar Dana हजार दाना
33. Rakt Dana रक्त दाना
34. Chund Dana चुंड दाना
35. Rakshas Dana राक्षस दाना
36. Braham Rakshas Dana ब्रह्म राक्षस दाना
37. Maili Dana मैली दाना
38. Chamunda Dana चामुण्डा दाना
39. Asthi Dana अस्थि दाना
40. Mathiya Dana मठिया दाना
41. Hissar Dana हिसार दाना
42. Mahisha Dana महिषा/भैसा दाना

उपरोक्त दानो का प्रयोग इनके नाम के अनुसार ही किया जाता है जैसे यदि किसी को भुत लगा हो या प्रेत लगा हो तो उसको इन्ही दानो से मन्त्र पढ़कर उतारा किया जाता है |

कई बार ऐसा होता है की रोगी के रोग की पहचान सही से हो नही पाती या फिर अनेक भूतात्मा गण किसी रोगी के लगे हुए है तो भुत-प्रेत-जिन्न-मसान-राक्षस दाना या इसमें और दाने मिलाकर 11 या 21 दानो को मन्त्र से अभिमंत्रित करके रोगी के ऊपर से उतारा किया जाता है |

ऐसे ही इन दानो को पीड़ित के घर पर मन्त्र अभिमंत्रित करके घेरा दिया जाता है अथवा दरवाजो/ चारो कोनो में लगाया जाता है |

सात्विक पूजा दाने

43. Pitru Dana पितृ दाना
44. Shiv Dana शिव दाना
45. Mahakali Dana महाकाली दाना
46. Bhairav Dana भैरव दाना
47. Laxmi Dana लक्ष्मी दाना
48. Dev Dana देव दाना
49. Yogini dana योगिनी दाना
50. Vishnu Dana विष्णु दाना
51. Kal Bhairav काल भैरव दाना
52. Bajrang Dana बजरंग दाना
53. Narsingh Dana नृसिंह दाना

उपरोक्त दानो का प्रयोग इनके नाम के अनुसार ही किया जाता है और इनका प्रयोग विशेष अवसरों पर इष्टदेव की पूजा करने के स्थान पर रखा जाता है और मन्त्रो द्वारा अभिमंत्रित किया जाता है | तथा इनका प्रयोग घर की रक्षा आदि करने के लिए किया जाता है |

वशीकरण दाने

54. Vashikaran Dana वशीकरण दाना
55. Mohini dana मोहिनी दाना
56. Dil Mohani Dana दिल मोहिनी दाना
57. Mann Mohini मन मोहिनी दाना
58. Dil Milli दिल मिली

उपरोक्त दानो का प्रयोग इनके नाम के अनुसार ही किया जाता है और ये सब दाने वशीकरण या आकर्षण मन्त्रो के द्वारा अभिमंत्रित करके साध्य व्यक्ति को खिलाया जाता है |

अन्य दाने 

इनके अलावा इनको भी दानो की श्रेणियों में गिना जाता है |

59. रक्त गूंजा
60. स्वेत गूंजा
61. काली गूंजा
62. राई/सरसों दाना

इन दानो का प्रयोग पुस्तक में पहले ही बता दिया गया है | विशेष ये दाने लड़ाई-झगडे करवाने के लिए काम आते है और साथ ही नज़र उतारने के लिए, किसी के बंधन लगाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है |

नोट: यहाँ पर केवल थोड़ी से जानकारी दी जा रही है | अधिक जानकारी शाबर मन्त्र भाग 13 में उपलब्ध है |

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|| श्री सियारामशरण ||

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हनुमान जयंती

हिन्‍दू धर्म में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के परम भक्‍त हनुमान को संकट मोचक माना गया है | मान्‍यता है कि श्री हनुमान का नाम लेते ही सारे संकट दूर हो जाते हैं और भक्‍त को किसी बात का भय नहीं सताता है | उनके नाम मात्र से आसुरी शक्तियां गायब हो जाती हैं | हनुमान जी  के जन्‍मोत्‍सव को देश भर में हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है | मान्‍यता है कि श्री हनुमान ने श‍िव के 11वें अवतार के रूप में माता अंजना की कोख से जन्‍म लिया था | हिन्‍दुओ में हनुमान जयंती की विशेष मान्‍यता है | हिन्‍दू मान्‍यताओ में श्री हनुमान को परम बलशाली और मंगलकारी माना गया है |


हनुमान जयंती कब है?

हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र शुक्‍ल पूर्णिमा को श्री हनुमान जयंती मनाई जाती है | ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक हनुमान जयंती हर साल मार्च या अप्रैल महीने में आती है | इस बार हुनमान जयंती 8 अप्रैल को है | आपको बता दें कि भक्‍त अपनी-अपनी मान्‍यताओं के अनुसार साल में अलग-अलग दिन हनुमान जयंती मनाते हैं | हालांकि उत्तर भारत में चैत्र शुक्‍ल पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली हनुमान जयंती अधिक लोकप्रिय है | 



हनुमान जयंती का महत्‍व 

भक्‍तों के लिए हनुमान जयंती का खास महत्‍व है | संकटमोचन हनुमान को प्रसन्‍न करने के लिए भक्‍त पूरे दिन व्रत रखते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं | मान्‍यता है कि इस दिन पांच या 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से पवन पुत्र हनुमान प्रसन्‍न होकर भक्‍तों पर कृपा बरसाते हैं | इस मौके पर मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ का आयोजन होता है | घरों और मंदिरों में भजन-कीर्तन होते हैं | हनुमान जी को प्रसन्‍न करने के लिए सिंदूर चढ़ाया जाता है और सुंदर कांड का पाठ करने का भी प्रावधान है | शाम की आरती के बाद भक्‍तों में प्रसाद वितरित करते हुए सभी के लिए मंगल कामना की जाती है | श्री हनुमान जयंती में कई जगहों पर मेला भी लगता है |


हनुमान जी की आरती 

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनिपुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाये॥
लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे, आनि संजीवन प्रान उबारे॥
पैठि पताल तोरि जम-कारे, अहिरावन की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे, दहिने भुजा सन्तजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे॥
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरति करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरति गावै, बसि बैकुण्ठ परम पद पावै॥